Akshay Tratiya

akshay-tritiyaस्वामी हरिदास जी के लाड़िले ठाकुर श्री बाँकेबिहारी जी महाराज की हर बात निराली, हर अदा बाँकी है। श्री बाँकेबिहारीजी महाराज के मन्दिर में होली को छोड़कर प्रत्येक त्यौहार वर्ष में केवल एक बार ही मनाया जाता है। इसी तरह श्रीबिहारीजी महाराज के चरण दर्शन भी वर्ष में केवल एक बार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को होते हैं। इस दिन श्रीबिहारीजी महाराज के श्री अंग में मल्यागिरी चंदन को केसर के साथ घिसकर लगाया जाता है। और कटि में बिहारीजी पीताम्बर धारण करते हैं। प्रियाजू को भी पीत वस्त्र धारण कराये जाते हैं और ठाकुर जी के श्री चरणों में केसर युक्त चंदन का गोला रखा जाता है। श्रीबिहारीजी की बाँकी छबि के दर्शन अक्षय तृतीया को ही होते हैं एवं सायंकाल में श्री बिहारीजी के चरण दर्शन के साथ ही सर्वांग दर्शन भी होते हैं। जिस भक्त को भी इस अकुलाहट भरी ग्रीष्म ऋतु में अपार जनसमूह के बीच ठाकुर जी के चरणों की एक झलक मिलती है, उसे अपार उल्लास आनन्द की अनुभूति होती है और वह स्वयं को धन्य महसूस करता है।
इस दिन बिहारीजी महाराज को शीतलता प्रदान करने के लिये सत्‍तू के लड्डू, शरबत, ठण्डाई आदि का विशेष भोग लगाया जाता है। श्रीबिहारीजी इस दिन चरणों में पायल भी धारण करते हैं। सभी भक्त अपने ठाकुर को लाड़ लड़ाने के लिये अपनी श्रद्धानुसार स्वर्ण, रजत की पायल लाते हैं एवं शरबत, ठण्डाई, चंदन आदि बिहारीजी को अर्पित करते हैं। वृन्दावन में जगह जगह दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए प्याऊ भी लगायी जाती हैं।

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